Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - काश...

काश...



काश...
कहीं से तुम आते,
और एक बार पूछते,
क्यों भीगी पलकें तुम्हारी है?
क्या हुआ, बतलाओ मुझे,
क्यों तुम्हारा दिल इतना भारी है?


काश..
एक बार झूठे ही सही,

कहते ना कर फिक्र, मैं हूं तुम्हारे साथ,
एक बार लगा कर सीने से अपने,
पूछ लेते मेरे दिल के जज़्बात..


काश..
तुम्हें होता अहसास,
कितना अकेला महसूस करती हूं,
फिर भी तुम्हारी सलामती की प्रार्थना,
अपने ईश्वर से रोज़ किया करती हूं..


काश..
कभी वो दिन भी आए,
तुम्हें मेरे मन के हालात समझाए,
कहीं ऐसा ना हो
वक्त की तरह बीत जाऊं,
तुम्हारी जिंदगी से,
और फिर तुम्हें याद बहुत हमारी आए।


प्रियंका वर्मा
26/8/22

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15 Comments

Chetna swrnkar

27-Aug-2022 08:38 PM

Nice

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shweta soni

27-Aug-2022 07:08 PM

Nice

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